पहला नशा…….

Dr. Pankaj Kumar
8 min readOct 17, 2021

९० के दशक का एक मशहूर गाना ‘पहला नशा, पहला खुमार ………’ राहुल के जीवन में सचमुच नशा की तरह था…… नशा भय का…..डर का….एक और असफलता का…

बात उन दिनों की है जब राहुल अपना बिहारी धर्म निभा रहा था …..आईएएस की तैयारी में तल्लीन था ……अपनी बहन के साथ वह भी परीक्षा की तैयारी कर रहा था |

यह एक महज इत्तिफाक था कि जब भी वह परीक्षा के लिए जाता, ऐन वक्त पर उसे ये गाना “ पहला नशा “ सुनायी देता और उस परीक्षा का परिणाम उसके अनुकूल नहीं होता |

इस बार राहुल के आईएएस का अंतिम एटेम्पट था और उसने पूरी तैयारी की | उसने इस बात का भी ध्यान रखा कि उसे यह गाना बिलकुल सुनायी न दे |

“ये तुम्हारे कानो में रुई क्यों है ?” — पिंकी ने राहुल की तरफ देखते हुए आश्चर्य से पूछा |

“मुझे इस बार वह मनहूस गाना “ पहल नशा ….” नहीं सुनना” — राहुल ने झुँझलाते हुए कहा |

“फिर तो तुम्हे और भी रुई की जरुरत पड़ेगी, क्योकि मेरी आवाज तो तुम्हे सुनायी दे रही है” — पिंकी ने वयंगात्मक मुस्कान के साथ जवाब दिया |

“परीक्षा के पहले मेरा मूड ख़राब ना करो” — राहुल ने गुस्से में कहा |

फिर दोनों परीक्षा के लिए निकल गए | राहुल अभी तक बहुत खुश था क्योकि वह मधुर संगीत अभीतक उसके कानो तक नहीं पहुंची थी| बड़ी तन्मयता के साथ वह प्रश्न के उत्तर लिखने में तल्लीन था | “ पहला नशा …..” का नहीं सुनना उसके कॉन्फिडेंस को और मजबूत कर रहा था | एक अंतिम १० मिनट बचे थे और राहुल अब पेपर सब्मिट करने की तैयारी कर रहा था तभी परीक्षा निरीक्षक महोदय का मोबाइल बज उठा और रिंगटोन था “ पहला नशा “……

“आप मोबाइल परीक्षा कक्ष में नहीं ला सकते” — राहुल ने चिल्ला कर कहा | “ पहला नशा ….” गाना ने मानो उसके खुशियों पर पानी फेर दिया |

राहुल के इस अचानक रिएक्शन से निरीक्षक महोदय एकदम सकपका गए और छण भर के लिए वे बिलकुल निरुतत्तर थे |

“ये लड़का जरुरु आईएएस बनेगा | साहेब वाला तेवर इनमे अभी से है” — निरीक्षक ने वयंगात्मक जवाब दिया |

राहुल निरुत्तर होकर उसके तरफ ऐसे देख रहा था जैसे उसकी दुनिया लूट चुकी है |

“अरे आईएएस महोदय, बाहर जाये | परीक्षा के बाद आप यहाँ नहीं रुक सकते” — फिर से वयांग्तमक जवाब था निरीक्षक का |

“भैया ! कैसा रहा पेपर ? “ पिंकी ने उत्सुकता से पूछा |

“ पहला नशा मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा “ राहुल ने चिढकर जवाब दिया |

“ आमिर खान ने फिर से मेरे भाई की तकदीर पर नशा चढ़ा दिया “ — पिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा |

“ अरे भाई, तुम कब इस वहम से बाहर निकलोगे?” — इस बार पिंकी की बातो में चिंता झलक रही थी |

रिजल्ट आया और पहल नशा ने फिर से अपना काम कर किया | राहुल पास न हो सका लेकिन पिंकी परीक्षा में सफल रही | राहुल के पास अपनी असफलता का बड़ा मजबूत कारण था — “ पहला नशा और पहला खुमार …….”

समय आगे निकलता गया और आमिर खान का गाना “ पहला नशा……” भी पुराना हो चला था | अब राहुल को ये गाना कम ही सुनायी देता था | फिर भी ये वहम उसके दिल में घर कर गयी थी |

राहुल अब पीएचडी कर चुका था और एक महाविद्यालय में प्राध्यापक था | जल्द ही उसके लिए रिश्ते आने लगे | उन रिस्तो में उसे एक रिश्ता पसंद आया | लड़की बॉटनी में यूनिवर्सिटी टोपर थी | घर में भी सभी को पसंद था | लड़की देखने की बात आयी तो राहुल ने मना कर दिया और कहा जो मम्मी और पापा फिक्स करेंगे वो उसे मंजूर है | फिर एक दिन लड़की देखने का दिन तय हुआ| पटना का हनुमान मंदिर तय स्थान था जहां सभी को मिलना था | राहुल को सभी को गाड़ी से वहाँ छोड़ना तय हुआ और कार्यक्रम के अनुसार राहुल सभी लोग के साथ निकल पड़ा| राहुल शायद अबतक अपने “पहला नशा…..” वाले वहम को भूल चूका था | जैसे ही राहुल ने सभी को मंदिर के गेट के आगे छोड़ा, उसे सामने चाय वाले के दुकान से वही मधुर संगीत सुनायी दी …..”पहला नशा , पहला खुमार” …….. राहुल अब इसके परिणाम से अवगत हो चूका था | ये रिश्ता नहीं होने वाला, ऐसा उसका पक्का विश्वास हो चला था | जब सभी लोग घर वापस आये तो सभी बड़े खुश दिख रहे थे | ऐसा प्रतीत हो रहा था की रिश्ता पक्का हो गया है पर मन अभी भी “ पहला नशा …..:” के बोझ से बोझिल था |

“बधाई हो! तुहारा रिश्ता हमने पक्का कर दिया है और तुम्हे लड़की से मिलना है” — राहुल के माताजी ने कहा |

“लड़की को भी मौका मिलना चाहिए…..यदि तुम उसे पसंद नहीं आये तो वो तुम्हे रिजेक्ट कर सकती है “ — मुस्कुराते हुए माताजी ने राहुल से कहा |

राहुल अभी हैरान था | उसे यकीन नहीं हो रहा था | “पहला नशा …..” पहली बार शायद कुछ नशा उसके जिंदगी में नहीं कर रहा था |

“ माँ, मैं लड़की से मिलने नहीं जाऊंगा “ — राहुल ने माँ से कहा क्योकि उसे कोई चांस नहीं लेनी थी |

“ खुद लड़की ने मिलने की इच्छा जाहिर की और मुझे ये बहुत अच्छी लगी | मै उससे वादा कर के आयी हूँ और तुम्हे उससे मिलना ही होगा” — माताजी ने स्पश्ट फरमान राहुल को सुनाया |

आख़िरकार राहुल को माँ की बात माननी पड़ी | मौर्या होटल में मिलने का स्थान तय हुआ और राहुल उस दिन लड़की से मिलने गया | राहुल थोड़ा सा घबराया हुआ था और घबराहट की दो वजह थी — पहला लकड़ी बॉटनी में यूनिवर्सिटी टोपर थी और राहुल ने कैसे एमएससी पास किया था, ये बात वह बहुत अच्छी तरह से जनता था | दूसरी वजह लड़की का खुद से मिलने की इच्छा जाहिर करना था जो की राहुल को डरा रहा था की वो उसकी मानदंड में सफल होगा या नहीं ! इसके पहले वो कुछ बोल पता, शुरुआत लड़की ने की |

“मै प्रियंका — अच्छा लगा आपसे मिलकर” — प्रियंका ने मुस्कुराते हुए कहा |

“चाय या कॉफी ?” — राहुल ने पूछा |

“कॉफी के साथ नाश्ता भी चल सकता है” — प्रियंका ने बड़ी बेबाकी भरी मुस्कान के साथ जवाब दिया ।

“ मै बहुत आभारी हूँ जो आप मिलने आये क्योकि कुछ जरुरी बातें शेयर करनी थी और मेरा रिक्वेस्ट है कि आप ये बातें मेरे घर वाले को बिलकुल न बताये” — प्रियंका ने बड़ी जल्दीबाजी में कहा |

“प्लीज ! आप मुझे रिजेक्ट कर दो क्योकि मैं एक दूसरे लड़के से शादी करना चाहती हूँ “ — प्रियंका ये कह कर बड़ी मासूमियत से राहुल की ओर देख रही थी |

राहुल को अब ऐसे लग रहा था मानो ये प्रियंका नहीं बल्कि आमिर खान है ओर वो जोर जोर से गाना गा रहा है — “ पहला नशा, पहल खुमार ……..”

“मैं घर जाकर क्या बोलूं? ये भी बता दो” — राहुल ने प्रियंका से उसी मासूमियत से पुछा |

“कुछ भी बोलो…..कह दो लड़की का हाइट कम है “ — प्रियंका ने तत्परता के साथ जवाब दिया |

ओके , तुम कॉफी ओर नाश्ता कर के जाना, मैं निकलता हु — राहुल ने बिना प्रियंका की तरफ देखते हुए कहा ओर वहाँ से निकल गया |

वो वहम जो शायद वो भूलने लगा था, फिर से पनप उठी थी | उसकी जेहन में प्रियंका की कुछ भी बातें नहीं थी बल्कि पुराना गाना ओर उसके धुन “ पहला नशा , पहला खुमार” गूँज रही थी |

“मुझे उस लड़की से शादी नहीं करनी है “ — घर जाकर राहुल ने माँ से कहा |

“ क्यों नहीं करनी? क्या कमी है लड़की में ? माँ ने झल्लाते हुए पूछा |

“ उसकी हाइट कम है “ — राहुल ने तयशुदा उत्तर माँ को सुना दिया |

“ ये क्या बकवास है ? मेरे से तो लम्बी है लड़की ओर तेरी हाइट तो तेरे बाप से बहुत छोटी है | हमें तो इस बात का कभी एहसास नहीं हुआ | माँ ने गुस्साते हुए राहुल से कहा |

अब माँ क्या जाने सच ! बहराल राहुल फिर से अपने वहम के साथ पूरी तरह से जुट चूका था |

दिन निकलते गए ओर राहुल को ये गाना कम सुनायी देने लगी | जितने भी अच्छे कार्य उसके जीवन में हुए, उनमे से किसी में उसे वो मनहूस गाना सुनाने को नहीं मिला | उसका वकम अब और पक्का हो चला था |

बहुत दिनों के बाद दुर्भाग्य से राहुल की किडनी ख़राब हो गए ओर उसे ट्रांसप्लांट करना पड़ा |इसके लिए वो दिल्ही के गंगाराम हॉस्पिटल में भर्ती हुआ |

सुबह ५ बज रहे थे जब नर्स ने उसे आके नींद से जगाया |

“चलिए तैयार हो जाईये ! ६ बजे ऑपरेशन है” — नर्स ने कहा |

“ओके सिस्टर “ — बड़ी सहजता के साथ राहुल ने उत्तर दिया |

तभी नर्स के मोबाइल पे वो मनहूस रिंगटोन बजता है — “पहला नशा पहला खुमार ……….” और राहुल बिलकुल स्तब्ध हो गया, मानो यमराज ने बिगुल बजा दिया है | वो कभी नर्स को तो कभी नर्स के मोबाइल को देख रहा था |

“आईये सर! व्हील चेयर पे “- नर्स ने राहुल से कहा |

राहुल चुपचाप व्हील चेयर पर बैठ गया | उसके मन में विचारो की आंधी चल रही थी | क्या आज का दिन उसके लिया इस पृथ्वी को अलविदा कहने का दिन है ? क्या ये गाना उसके लिए संकेत है ? पहला नशा गाना ने उसे बुरी तरह से डरा दिया था | इस वक्त उसे अपनी दादी की बहुत याद आ रही थी | दादी कहा करती थी इन्शान की तक़दीर खुद इन्शान ही लिख सकता दूसरा कोई भी नहीं | यदि मन में हो विश्वास और हो अथक प्रयास, जीत निश्चित है | राहुल अब पॉजिटिव सोच रहा था | उसे लगा जैसे दादी कह रही हो, ये गाना तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता चाहो तो फिर से एक बार तुम ये गाना सुन लो |

“मैं पैदल ही ऑपेरशन थेटरे जाऊँगा” राहुल एकदम से व्हील चेयर से उठते हुए नर्स से कहा |

“नो सर ! ये प्रोटोकॉल के अगेंस्ट है, आपको व्हील चेयर में ही जाना होगा” — नर्स ने राहुल से कहा |

“ मै पैदल ही जाऊंगा, और ये मुझे कॉन्फिडेंस देगा…..आप डॉक्टर से बात कर लो “ — राहुल ने नर्स से कहा

नर्स ने फ़ोन लगाया रिसेप्शन से और डॉक्टर को मैसेज दिया राहुल की जिद के बारे में | तुरंत नर्स को डॉक्टर का फ़ोन आया और फिर से वही धुन “ पहला नशा, पहला खुमार राहुल को सुनायी दिया |

इस बार राहुल के मन में डर नहीं था बल्कि यह उसे दादी का सन्देश लगा |

दादी मानो कह रही हो — “बेटा !- ये कुछ नहीं वहम है ….बाहर आ जा इस वहम से !”

“सर! डॉक्टर साहेब आपसे बात करेंगे “ — नर्स ने जोर से राहुल से कहा जो की अपनी ही सोच में डूबा था |

“ डॉकटर साहेब ! माना की आप बिलकुल स्वस्थ है लेकिन ये प्रोटोकॉल है” — डॉक्टर मल्लिक ने राहुल से फ़ोन पे कहा |

“ मुझे ऐसा लगता है की यदि मैं चल कर ऑपरेशन थेटरे तक आऊं तो ये ऑपरेशन बिलकुल सफल रहेगा | वैसे आप जो बोलेंगे वैसा करूँगा “ राहुल ने डॉकटर मल्लिक से फ़ोन पे कहा |

डॉक्टर मल्लिक कुछ देर के लिए फ़ोन पे चुप हो गए और फिर कहा -

“अच्छा ! तो आप जरूर चल के आइये ! प्लीज फ़ोन नर्स को दें “ — डॉक्टर मल्लिक ने राहुल से कहा |

राहुल चल कर ऑपरेशन थेटर तक गया और अब सके मन में डर नहीं था | ये विचार आ रहे थे की वह उन सभी लोगो को निराश नहीं कर सकता जो इस ऑपरेशन की सफलता की कामना कर रहे है | वो पिंकी को निराश नहीं कर सकता जिसने उसे अपनी किडनी दी | वो खुद के वहम से नहीं हार सकता |

ऑपरेशन सफल रहा और ऑपरेशन के बहुत दिनों बाद तक , “पहला नशा , पहला खुमार” राहुल के मोबाइल का रिंगटोन बना रहा |

मन की शक्ति से बड़ी कोई शक्ति नहीं है !

मन में हो विश्वाश , हो अथक प्रयास !

जीत निश्चित है !!!

--

--